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Lalit Bajpai An influential Lyricist

Lalit Bajpai An influential  Lyricist

एक असरदार गीतकार हैं ललित बाजपेयी(मुकेश कानपुरी)।

गीत लिखना अपने आप में एक बड़ी कला है जो हुनर सबके पास नहीं होता. मगर ललित बाजपेयी एक ऐसे गीतकार हैं जो बेहद अच्छे गाने लिखते हैं जिनकी कलम में जादू है और जिनके ख्यालों में नई बात होती है. आपको बता दें कि उनके पिता कृष्ण दत्त किशोर बाजपेयी खुद एक उम्दा कवि थे. उन्होंने अपने जीवन काल में कई कवि सम्मेलनों में शिरकत की.  साहित्य जगत में उनका नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है. पदमश्री स्वः गोपाल दास नीरज कनपुर में डीएवी कालेज में साथ ही थे. कई कवि सम्मेलनों में नीरज जी,अशोक चक्रधर जी.ब्रजेन्द्र अवस्थी ,देवीप्रसाद राही,सिन्दूर जी आदि के साथ काव्यपाठ किया. बकौल एल एम बाजपाई ”कई कवि सम्मेलनों में मेरे द्वारा उनके साथ भी काव्यपाठ किया गया. एक जगह मैंनें लिखा था – ‘हम भी  आखिर बेटे हैं एक कवि के, रौशनी अभी कम है कभी चमकेगें रवि से.”

  

आपको बता दें कि एल एम बाजपाई के लिखे दो गीतों की रिकार्डिंग हो चुकी है जिसके बोल बड़े ही प्यारे हैं. पहला गीत है ‘लड़की है तू कितनी’ जबकि दुसरे गीत के बोल हैं ‘तुम ही तो जीने की एक वजह हो.’

डा.प्रतीक मिश्रा ने एक किताब ‘कानपुर के कवि’ के नाम से निकाली थी, उसमें उनका एक गीत छपा हुआ है. एल एम बाजपाई अब उस गीत को संगीत के साथ गाने जा रहे हैं. जिसके बोल हैं. ‘प्यार से पुकार लो.हाथ में सितार लो’.

हम भी आखिर बेटे हैं एक कवि के: गीतकार ललित बाजपेयी(मुकेश कानपुरी)

रौशनी अभी कम है कभी चमकेगें रवि से: ललित बाजपेयी(मुकेश कानपुरी)

गीत वही लिख सकता है जिसका दिल घायल हो:गीतकार  ललित बाजपेयी(मुकेश कानपुरी)

मेरे गीतों में तुमको इतना दर्द मिलेगा: ललित बाजपेयी (मुकेश कानपुरी)

एल एम बाजपेयी ऐसी कविता लिखते हैं जो दिल को छू जाये. वह कहते हैं ”गीत वही लिख सकता है जिसका दिल सदियों से घायल हो, नाच वही सकता है जिसके पाँव में छम छम पायल हो, प्यार वही कर सकता है जिसका दिल भी सबसे प्यारा हो.’

एल एम बाजपेयी अपनी शायरी के सन्दर्भ में कहते हैं ”कलम साधता हूँ तो खुद ब खुद फिसल जाती है, तेरी तस्वीर दिल से होते हुये कागज पे उतर आती है, तेरी यादें ही तो मेरी सौगात हैं, यही दुल्हन मेरी यही बारात हैं, यादों के सिवा इस दिल में क्या छुपा रक्खा है, एक दिल भी तो नहीं कहते बचा रक्खा है.”

एल एम बाजपेयी अपने गीतों में दर्द के एहसास को कुछ यूँ बयान करते हैं ”मेरे गीतों में तुमको इतना दर्द मिलेगा, प्यार न तो ज्यादा न कम मिलेगा, पढ़ो गे तो लफ़्ज़ों लफ़्ज़ों में दम मिलेगा.”

एल एम बाजपेयी अपने आप को एक दीवाना शायर मानते हैं और कहते हैं ”दीवानों का जब जब नाम लिया जायेगा, मेरा नाम अदब से सबसे ऊपर ही आयेगा, जिस दिन मेरा स्वर हर दिल में लहरायेगा, मेरा नाम अदब से सबसे ऊपर ही आयेगा.”

एल एम बाजपेयी फ़िल्मी गीतों में भी शायरी और कविता के स्तर को बरक़रार रखना चाहते हैं और असरदार शायरी करना चाहते हैं.

—–Akhlesh Singh (PRO)

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